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अमर उजाला की ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित "सागर के सीने पर " कविता की लिंक

कविता: अंधेरे के प्रेमी- डॉ.सुनील जाधव

वीर जवान जागे और हम सोयें

माँ भी घर में आतंकित है.....

सच की लकीरें

हंसते चेहरे के पीछे

प्रश्न चिन्ह [कविता]

भविष्य का संरक्षण

श्रेष्ठ कौन ?

मैंने दरिया में छलांग लगाई...

ऐ खूबसूरत बंजारन !

यह कोनसा खुबसूरत फूल है खिल रहा ?

वे लड़ते-लड़ते हुए शहीद ...

आज चट्टानों से

मैं प्रण लेती हूँ ..

जीने दो उसे ...

ख़ुशी लुटाते फूल