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ऐ खूबसूरत बंजारन !

ऐ छोरी बंजारन !

पहन कर घागरा-चोली
नैनो  की कटार से
चली किस बंजारे को मारन |

ऐसे ना मुस्कुराया करो
इस घायल हृदय की
ऐ खूबसूरत बंजारन !
कुछ तो कदर किया करो |


कैसी-कैसी अदायें हैं तुम्हारी
बेजुबान को पहले शायर
और फिर बार-बार देखने की
चढ़ाती हो यह कैसी हैं ख़ुमारी |

तुम जिसे देख लेती हो
वह दीवाना हो जाता है
तुम्हे पाने की चाहत में
दीये का परवाना हो जाता है  |  
                                             
सुन तो ऐ बंजारन !
तुम्हे यह हसीन नजर और नजारा
फुर्सत में मिला है ,
यह करिश्माई खूबसूरती है बंजारा |

सुनील जाधव,नांदेड

      महाराष्ट्र 

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