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हनुमान जी का गदा ... [ लघु कहानी ]


                                                                                              चित्र सौजन्य गूगल 


                       सड़क किनारे एक वृक्ष था | उस पर कभी किसी की नजर नहीं पड़ी थी | अचानक एक दिन उस पेड़ में परिवर्तन होने लगा | उसका तना फूलने लगा | तोंद की भांति गोल मटोल | चहुँ ओर से उसका तना फूल गया था | अबतक उस पेड़ पर किसी की नजर नहीं पड़ी थी | एक हनुमान भक्त श्रद्धालु की नजर उसपर पड़ी और उसने उस पेड़ के चरणों में मस्तक टेक दिया | साक्षात हनुमान जी का गदा उस पेड़ में अवतरित हो गया था | पेड़ का तना फूलने से वह पेड़ हुनमान जी का प्रिय शस्त्र गदा की भांति दिखाई दे रहा था |
                     धीरे-धीरे भक्तों की संख्या बढ़ने लगी थी | चहुँ ओर हनुमान जी के शस्त्र की बात ध्वनि की गति से भी अधिक तीव्र गति से फैल गई थी | वैज्ञानिक भक्त विज्ञान की दृष्टी से उसे देखने लगे थे | मिडिया वाले भक्त मिडिया से भक्ति प्रकट कर रहे थे | कुछ ऐसे ही भक्त ऐसी ही भक्ति प्रकट कर रहे थे | धुप-अगरबती जलाये जाने लगे थे | विभिन्न वस्तुओं के दुकान वहाँ खुल गए थे | वृक्ष भी प्रसन्न था | उसकी उपेक्षा खत्म हुई थी | वह ख़ुशी से झुमने लगा था | पर उसकी यह ख़ुशी धीरे-धीरे कम होने लगी थी | भक्त,श्रद्धालुओं की संख्या कम होने का नाम नही ले रही थी | वृक्ष की नींद उड़ गई थी | उसे पुराने दिन याद आने लगे थे | वह शांति, वह स्वच्छ वातावरण ....|
                    एक दिन अचानक हनुमान जी का गदा गायब हो चूका था | सामान्य पेड़ को देख कर भक्त भी गायब हो चुके थे | पर पेड़ अब खुश था |
                                                                    







                                                                         
                                                                                             डॉ.सुनील जाधव  

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